संविधान के हर बाल की खाल निकालना उनका प्रिय शगल होता है।
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बाल की खाल निकालना, आलोचना करना और सनसनी फैलाना उसका स्वाभाविक कर्म है।
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बाल की खाल निकालना, आलोचना करना और सनसनी फैलाना उसका स्वाभाविक कर्म है।
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* ” अब तूने ईतनी छोटी उम्र में ही बाल की खाल निकालना शरु कर दिया है ।
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नैयायिकों का एक काम था ; “ बाल की खाल निकालना ” न कि ” खाल के बाल निकालना।
9.
बाल की खाल निकालना काँग्रेस नेताओ की आदत है गडकरी जी का बयान जिस पर हंगामा चल रहा है कतई गलत नही है ऐसा करने वाले द्दाउद जैसी
10.
हमारी रूचि का दूसरा मुख्य विषय होता है, बार-बार जिए-मरे रिश्तों की पड़ताल करना यानि बाल की खाल निकालना यानि एक ही चीज़ को बार-बार उधेड़ना और फिर बुनना।